प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय के खेल परिसर के बहुउद्देशीय हॉल में दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैम्पस में बनने वाले फैकल्टी ऑफ टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर सेंटर और अकादमिक ब्लॉक के भवन की आधारशिला भी रखी। प्रधानमंत्री ने स्मारक शताब्दी खंड- शताब्दी समारोह का संकलन, लोगो बुक–दिल्ली विश्वविद्यालय और इसके कॉलेजो का लोगो; औरा – दिल्ली विश्विविद्यालय के सौ वर्ष का लोकार्पण किया।
प्रधानमंत्री ने दिल्ली विश्वविद्यालय पहुंचने के लिए मेट्रो की सवारी की। उन्होंने यात्रा के दौरान छात्रों के साथ बातचीत भी की। प्रधानमंत्री ने यहां पहुंचने पर प्रदर्शनी ‘100 वर्षों की यात्रा‘ का अवलोकन किया। उन्होंने संगीत और ललित कला संकाय द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना और विश्वविद्यालय कुलगीत को भी सुना।
प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए बल देकर कहा कि उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम में भाग लेने का दृढ़ निर्णय लिया था और कहा कि यह भावना घर वापसी की तरह है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन से पहले प्रस्तुत लघु फिल्म का जिक्र करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय से निकली हस्तियों के योगदान से दिल्ली विश्वविद्यालय के जीवन की झलक मिलती है। प्रधानमंत्री ने दिल्ली विश्वविद्यालय में उत्सव के अवसर पर और उत्सव की भावना के साथ उपस्थित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। विश्वविद्यालय की किसी भी यात्रा के लिए सहयोगियों के साथ के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में पहुंचने के लिए मेट्रो से यात्रा करने का अवसर मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय का शताब्दी समारोह ऐसे समय में हो रहा है जब भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के बाद आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी देश के विश्वविद्यालय और शैक्षणिक संस्थान उसकी उपलब्धियों का प्रतिबिंब प्रस्तुत करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि डीयू की 100 साल की यात्रा में कई ऐतिहासिक अवसर रहे हैं जिन्होंने अनेक विद्यार्थियों, शिक्षकों और अन्य लोगों के जीवन को जोड़ा है। उन्होंने टिप्पणी की कि दिल्ली विश्वविद्यालय सिर्फ एक विश्वविद्यालय नहीं है, बल्कि एक आंदोलन है और इसने हर एक पल को जीवन से भर दिया है। प्रधानमंत्री ने शताब्दी समारोह पर प्रत्येक विद्यार्थी, शिक्षक और दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों को बधाई दी।
प्रधानमंत्री ने पुराने और नए पूर्ववर्ती छात्रों के एकत्रित होने का उल्लेख करते हुए कहा कि यह आगे बढ़ने का एक अवसर है। प्रधानमंत्री ने कहा, “अगर इन सौ वर्षों के दौरान डीयू ने अपनी भावनाओं को जीवित रखा है, तो इसने अपने मूल्यों को भी जीवंत रखा है।” प्रधानमंत्री ने ज्ञान के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि जब भारत में नालंदा और तक्षशिला जैसे जीवंत विश्वविद्यालय थे, तब यह समृद्धि के शिखर पर था। उन्होंने उस समय के वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में भारत की उच्च हिस्सेदारी को रेखांकित करते हुए कहा, “भारत की समृद्ध शिक्षा प्रणाली भारत की समृद्धि की वाहक है।” उन्होंने कहा कि गुलामी के दौरान लगातार हमलों ने इन संस्थानों को नष्ट कर दिया, जिससे भारत के बौद्धिक प्रवाह में बाधा आई और विकास अवरुद्ध हो गया।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद विश्वविद्यालयों ने प्रतिभाशाली युवाओं की एक मजबूत पीढ़ी बनाकर स्वतंत्रता के बाद के भारत के भावनात्मक तरंग को ठोस आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि अतीत की यह समझ हमारे अस्तित्व को आकार देती है, हमारे आदर्शों को आकार देती है और भविष्य की दृष्टि को विस्तार देती है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “जब किसी व्यक्ति या संस्था का संकल्प देश के प्रति होता है, तो उसकी उपलब्धियों को राष्ट्र की उपलब्धियों के बराबर माना जाता है। श्री मोदी ने कहा कि जब दिल्ली विश्वविद्यालय प्रारंभ हुआ था तब इसके अंतर्गत केवल 3 कॉलेज थे लेकिन आज इसके अंतर्गत 90 से अधिक कॉलेज हैं। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि, भारत जिसे कभी एक नाजुक अर्थव्यवस्था माना जाता था, अब विश्व की शीर्ष 5 अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया है। प्रधानमंत्री ने यह उल्लेख करते हुए कि डीयू में पढ़ने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में अधिक है, कहा कि देश में लिंगानुपात में काफी सुधार हुआ है। उन्होंने एक विश्वविद्यालय और एक राष्ट्र के संकल्पों के बीच एक अंतर्संबंध के महत्व पर बल दिया और कहा कि शैक्षणिक संस्थानों की जड़ें जितनी गहरी होंगी, देश की प्रगति उतनी ही अधिक होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय का लक्ष्य भारत की स्वतंत्रता था जब यह पहली बार शुरू हुआ था, लेकिन अब जब संस्थान 125 साल पूरे करेगा, जब भारत स्वतंत्रता के 100 वर्ष तक पहुंच जाएगा, तो दिल्ली विश्वविद्यालय का लक्ष्य भारत को ‘विकसित भारत‘ बनाना होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, “पिछली सदी के तीसरे दशक ने भारत के स्वतंत्रता संघर्ष को नई गति दी, अब नई सदी का तीसरा दशक भारत की विकास यात्रा को गति देगा।” प्रधानमंत्री ने बड़ी संख्या में स्थापित होने वाले विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, आईआईटी, आईआईएम और एम्स का संकेत दिया। उन्होंने कहा, ”ये सभी संस्थान नए भारत के बिल्डिंग ब्लॉक बन रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि शिक्षा केवल शिक्षण की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि लर्निंग का एक तरीका भी है। उन्होंने बताया कि लंबे समय के बाद, फोकस इस बात पर स्थानांतरित हो रहा है कि एक छात्र क्या सीखना चाहता है। उन्होंने विषयों के चयन के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में लचीलेपन की बात की। प्रधानमंत्री ने संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार और प्रतिस्पर्धा भाव की चर्चा करते हुए राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क का उल्लेख किया जो संस्थानों को प्रोत्साहित कर रहा है। उन्होंने संस्थानों की स्वायत्तता को शिक्षा की गुणवत्ता से जोड़ने के प्रयास की चर्चा की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भविष्योन्मुखी शैक्षिक नीतियों और निर्णयों के कारण भारतीय विश्वविद्यालयों की मान्यता बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि जहां 2014 में क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग में केवल 12 भारतीय विश्वविद्यालय थे, वहीं आज यह संख्या 45 तक पहुंच गई है। उन्होंने इस परिवर्तन के लिए भारत की युवा शक्ति को मार्गदर्शक शक्ति के रूप में श्रेय दिया। प्रधानमंत्री ने आज के युवाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने शिक्षा की अवधारणा को प्लेसमेंट और डिग्री तक सीमित न रखकर इसे आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि वे अपनी स्वयं की राह बनाना चाहते हैं और एक लाख से अधिक स्टार्टअप, 2014-15 की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक पेटेंट फाइलिंग और ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में वृद्धि को इस सोच के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया है।
प्रधानमंत्री ने अपनी हाल की यात्रा के दौरान अमेरिका के साथ ‘इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी‘ (आईसीईटी) पर हुए समझौते पर प्रकाश डाला और कहा कि यह एआई से लेकर सेमीकंडक्टर तक विभिन्न क्षेत्रों में भारत के युवाओं के लिए नए अवसर पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि यह उन प्रौद्योगिकियों तक पहुंच को सक्षम करेगा जो कभी हमारे युवाओं की पहुंच से बाहर थीं और कौशल विकास को बढ़ाएंगे। प्रधानमंत्री ने बताया कि माइक्रॉन, गूगल, एप्लाइड मैटेरियल्स आदि कंपनियों ने भारत में निवेश करने का फैसला किया है और यह युवाओं के उज्ज्वल भविष्य की झलक प्रदान करता है।
“उद्योग 4.0 क्रांति भारत के दरवाजे पर दस्तक दे रही है”, प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि एआई, एआर और वीआर जैसी प्रौद्योगिकिया, जो केवल फिल्मों में देखी जा सकती थीं, अब हमारे वास्तविक जीवन का हिस्सा बन गई हैं। उन्होंने कहा कि रोबोटिक्स ड्राइविंग से लेकर सर्जरी तक नया सामान्य हो गया है और कहा कि ये सभी क्षेत्र भारत की युवा पीढ़ी के लिए नए रास्ते बना रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्षों में भारत ने अपने अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र को खोला है और ड्रोन से संबंधित नीतियों में भारी बदलाव किए हैं जिससे युवाओं को आगे बढ़ने का अवसर मिला है।
प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों पर भारत की बढ़ती प्रोफाइल के प्रभाव के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि अब लोग भारत के बारे में जानना चाहते हैं। उन्होंने कोरोना काल में विश्व को भारत की सहायता का जिक्र किया। इसने विश्व में भारत के बारे में अधिक जानने की जिज्ञासा पैदा की जो संकट के दौरान भी काम करता है। उन्होंने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से बढ़ती मान्यता छात्रों के लिए योग, विज्ञान, संस्कृति, त्योहार, साहित्य, इतिहास, विरासत और व्यंजन जैसे नए अवसर पैदा कर रही है। उन्होंने कहा, ‘भारतीय युवाओं की मांग बढ़ रही है, जो विश्व को भारत के बारे में बता सकते हैं और हमारी चीजों को विश्व तक पहुंचा सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र, समानता और आपसी सम्मान जैसे भारतीय मूल्य मानवीय मूल्य बन रहे हैं, जो सरकार और कूटनीति जैसे मंचों पर भारतीय युवाओं के लिए नए अवसर पैदा कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि इतिहास, संस्कृति और विरासत पर ध्यान केंद्रित करने से युवाओं के लिए नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं। उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों में स्थापित किए जा रहे जनजातीय संग्रहालय तथा पीएम म्यूजियम के माध्यम से स्वतंत्र भारत की विकास यात्रा का उदाहरण दिया। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि दिल्ली में विश्व का सबसे बड़ा विरासत संग्रहालय ‘युगे युगीन भारत‘ भी बनने जा रहा है। प्रधानमंत्री ने भारतीय शिक्षकों की बढ़ती मान्यता को भी स्वीकार किया और उल्लेख किया कि कैसे विश्व के नेताओं ने अक्सर उन्हें अपने भारतीय शिक्षकों के बारे में बताया है। उन्होंने कहा, “भारत की यह सॉफ्ट पावर भारतीय युवाओं की सफलता की कहानी बन रही है।” उन्होंने विश्वविद्यालयों से इस विकास के लिए अपनी मानसिकता तैयार करने को कहा। उन्होंने इसके लिए एक रोडमैप तैयार करने के लिए कहा और दिल्ली विश्वविद्यालय से कहा कि जब वे 125वां वर्ष मनाएंगे, तो उन्हें विश्व के शीर्ष रैंकिंग विश्वविद्यालयों में शामिल होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भविष्य बनाने वाले नवाचार यहां किए जाएं, विश्व के सर्वश्रेष्ठ विचार और नेता यहां से निकलें, इसके लिए आपको लगातार काम करना होगा।
प्रधानमंत्री ने संबोधन का समापन करते हुए अपने मन और हृदय को उस लक्ष्य के लिए तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया जो हमने जीवन में अपने लिए निर्धारित किया है। उन्होंने रेखांकित किया कि किसी राष्ट्र के मन और हृदय को तैयार करने का दायित्व उसके शैक्षणिक संस्थानों द्वारा पूरी की जानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि दिल्ली विश्वविद्यालय इस यात्रा को आगे बढ़ाते हुए इन संकल्पों को पूरा करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारी नई पीढ़ी को भविष्य के लिए तैयार होना चाहिए, चुनौतियों को स्वीकार करने और उनका सामना करने का स्वभाव होना चाहिए, यह केवल शैक्षणिक संस्थान के विजन और मिशन के माध्यम से ही संभव है।
इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति श्री योगेश सिंह भी उपस्थित थे।
पृष्ठभूमिः
दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना 1 मई 1922 को हुई थी। विश्वविद्यालय ने पिछले सौ वर्षों में काफी विकास और विस्तार किया है और अब इसमें 86 विभाग, 90 कॉलेज और 6 लाख से अधिक विद्यार्थी हैं और इसने राष्ट्र निर्माण में बहुत योगदान दिया है।
On the way to the DU programme by the Delhi Metro. Happy to have youngsters as my co-passengers. pic.twitter.com/G9pwsC0BQK
— Narendra Modi (@narendramodi) June 30, 2023
Speaking at the valedictory session of Delhi University’s centenary celebrations. https://t.co/zj62lQZ10P
— Narendra Modi (@narendramodi) June 30, 2023
दिल्ली यूनिवर्सिटी सिर्फ एक यूनिवर्सिटी नहीं बल्कि एक मूवमेंट रही है। pic.twitter.com/2d7Ompzsh6
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2023
कोई इंसान हो या संस्थान, जब उसके संकल्प देश के लिए होते हैं, तो उसकी सफलता भी देश की सफलताओं से कदम मिलाकर चलती है। pic.twitter.com/Gvvbjj7fJa
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2023
आज देशभर में बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी, कॉलेज बनाए जा रहे हैं। pic.twitter.com/IwZ64wJV2t
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2023
शिक्षा सिर्फ सिखाने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि ये सीखने की भी प्रक्रिया है। pic.twitter.com/BtfUOc69R4
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2023
हमारे education institutes दुनिया में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। pic.twitter.com/l9uoWwePbB
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2023
आज युवा कुछ नया करना चाहता है, अपनी लकीर खुद खींचना चाहता है। pic.twitter.com/5ls9WKpqWb
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2023
Industry 4.0 की क्रांति हमारे दरवाजे पर आ चुकी है। pic.twitter.com/3ixwFbgKS9
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2023
आज दुनिया के लोग भारत को, भारत की पहचान को, भारत की संस्कृति को जानना चाह रहे हैं। pic.twitter.com/tKXLHfHhFC
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2023
***
एमजी/एमएस/आरपी/एजी/ओपी/डीवी
Speaking at the valedictory session of Delhi University's centenary celebrations. https://t.co/zj62lQZ10P
— Narendra Modi (@narendramodi) June 30, 2023
दिल्ली यूनिवर्सिटी सिर्फ एक यूनिवर्सिटी नहीं बल्कि एक मूवमेंट रही है। pic.twitter.com/2d7Ompzsh6
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2023
कोई इंसान हो या संस्थान, जब उसके संकल्प देश के लिए होते हैं, तो उसकी सफलता भी देश की सफलताओं से कदम मिलाकर चलती है। pic.twitter.com/Gvvbjj7fJa
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2023
आज देशभर में बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी, कॉलेज बनाए जा रहे हैं। pic.twitter.com/IwZ64wJV2t
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2023
शिक्षा सिर्फ सिखाने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि ये सीखने की भी प्रक्रिया है। pic.twitter.com/BtfUOc69R4
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2023
हमारे education institutes दुनिया में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। pic.twitter.com/l9uoWwePbB
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2023
आज युवा कुछ नया करना चाहता है, अपनी लकीर खुद खींचना चाहता है। pic.twitter.com/5ls9WKpqWb
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2023
Industry 4.0 की क्रांति हमारे दरवाजे पर आ चुकी है। pic.twitter.com/3ixwFbgKS9
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2023
आज दुनिया के लोग भारत को, भारत की पहचान को, भारत की संस्कृति को जानना चाह रहे हैं। pic.twitter.com/tKXLHfHhFC
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2023
Congratulations to the University of Delhi on completing 100 momentous years. pic.twitter.com/aCeARE8Wr0
— Narendra Modi (@narendramodi) June 30, 2023
Over the years, DU has emerged as a prime centre of learning and innovation. pic.twitter.com/9DhhqztdPq
— Narendra Modi (@narendramodi) June 30, 2023
Here is how the education sector has transformed over the last 9 years. pic.twitter.com/xdjpoReyHB
— Narendra Modi (@narendramodi) June 30, 2023
India has made numerous strides in futuristic sectors including StartUps...it is our youth who is powering these changes. pic.twitter.com/RJSyFMjtVK
— Narendra Modi (@narendramodi) June 30, 2023
Growing global interest in Indian history and culture offers many opportunities for those pursuing humanities. pic.twitter.com/DzZS52KDjq
— Narendra Modi (@narendramodi) June 30, 2023