पीएमइंडिया
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन और आदर्शों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राष्ट्र प्रेरणा स्थल का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने श्री अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती के पर अपने संबोधन में कहा कि आज लखनऊ की धरती एक नई प्रेरणा की साक्षी बन रही है। उन्होंने देश और पूरी दुनिया को क्रिसमस की शुभकामनाएं दीं। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में भी लाखों ईसाई परिवार आज यह त्यौहार मना रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि क्रिसमस का यह उत्सव सभी के जीवन में खुशियां लाए, यही हम सबकी सामूहिक कामना है।
श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 25 दिसंबर राष्ट्र के दो महान व्यक्तित्वों की जयंती का विशेष अवसर लेकर आता है। उन्होंने कहा कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी और भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय जी ने भारत की पहचान, एकता और गौरव की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इन दोनों महान विभूतियों ने अपने विशाल योगदान से राष्ट्र निर्माण पर अमिट छाप छोड़ी है।
श्री मोदी ने इस बात का उल्लेख किया कि 25 दिसंबर महाराजा बिजली पासी जी की जयंती भी है। उन्होंने बताया कि लखनऊ का प्रसिद्ध बिजली पासी किला यहाँ से कुछ ही दूरी पर स्थित है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि महाराजा बिजली पासी ने वीरता, सुशासन और समावेशिता की ऐसी विरासत छोड़ी है जिसे पासी समुदाय ने गर्व से आगे बढ़ाया है। उन्होंने इस संयोग का जिक्र किया कि अटल जी ने ही वर्ष 2000 में महाराजा बिजली पासी के सम्मान में डाक टिकट जारी किया था। उन्होंने महामाना मालवीय जी, अटल जी और महाराजा बिजली पासी को सम्मानपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्री मोदी ने कहा कि कुछ समय पहले उन्हें राष्ट्र प्रेरणा स्थल का उद्घाटन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जो भारत को आत्मसम्मान, एकता और सेवा का मार्ग दिखाने वाले दृष्टिकोण का प्रतीक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी और अटल बिहारी वाजपेयी जी की भव्य प्रतिमाएं गौरवशाली हैं, लेकिन उनसे मिलने वाली प्रेरणा कहीं अधिक महान है। अटल जी के शब्दों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह राष्ट्र प्रेरणा स्थल यह संदेश देता है कि हर कदम, हर प्रयास राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित होना चाहिए और केवल सामूहिक प्रयास से ही विकसित भारत का संकल्प पूरा होगा। उन्होंने लखनऊ, उत्तर प्रदेश और पूरे देश को इस आधुनिक प्रेरणा स्थल के लिए बधाई दी। श्री मोदी ने बताया कि जिस भूमि पर यह प्रेरणा स्थल बनाया गया है, उस पर दशकों से 30 एकड़ से अधिक क्षेत्र में कचरे का ढेर लगा हुआ था, जिसे पिछले तीन वर्षों में पूरी तरह से साफ कर दिया गया है। प्रधानमंत्री ने परियोजना से जुड़े सभी श्रमिकों, कारीगरों और योजनाकारों को बधाई दी और मुख्यमंत्री तथा उनकी पूरी टीम के प्रयासों की विशेष सराहना की।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने राष्ट्र को दिशा देने में निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में दो संविधान, दो प्रतीक चिन्ह और दो प्रधानमंत्रियों के प्रावधान को डॉ. मुखर्जी ने ही समाप्त करने की बात शुरू की थी। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि स्वतंत्रता के बाद भी जम्मू-कश्मीर की व्यवस्था भारत की अखंडता के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। श्री मोदी ने गर्व से कहा कि उनकी सरकार को ही अनुच्छेद 370 की दीवार गिराने का अवसर मिला और आज जम्मू-कश्मीर में भारत का संविधान पूरी तरह से लागू है।
प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि स्वतंत्र भारत के पहले उद्योग मंत्री के रूप में डॉ. मुखर्जी ने आर्थिक आत्मनिर्भरता की नींव रखी और देश को पहली औद्योगिक नीति दी, जिससे भारत में औद्योगीकरण का आधार स्थापित हुआ। उन्होंने कहा कि आज आत्मनिर्भरता का यही मंत्र नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है, और ‘मेड इन इंडिया’ उत्पाद विश्व स्तर पर पहुंच रहे हैं। श्री मोदी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में ही ‘एक जिला एक उत्पाद’ का व्यापक अभियान चल रहा है, जिससे लघु उद्योगों और छोटी इकाइयों को मजबूती मिल रही है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में एक महत्वपूर्ण रक्षा गलियारा भी बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि ब्रह्मोस मिसाइल, जिसकी शक्ति का विश्व ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अनुभव किया था, अब लखनऊ में निर्मित हो रही है। उन्होंने जोर दिया कि वह दिन दूर नहीं जब उत्तर प्रदेश के रक्षा गलियारे को रक्षा विनिर्माण के लिए विश्व स्तर पर मान्यता मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि दशकों पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने अंत्योदय का सपना देखा था। उन्होंने कहा कि दीनदयाल जी का मानना था कि भारत की प्रगति का माप कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान से होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि दीनदयाल जी ने समग्र मानवतावाद की बात की थी, जिसमें शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा का एक साथ विकास होता है। श्री मोदी ने कहा कि दीनदयाल जी के इस सपने को उन्होंने अपना संकल्प बना लिया है और अंत्योदय को अब व्यापकता का नया आयाम दिया गया है, जिसका अर्थ है कि प्रत्येक जरूरतमंद व्यक्ति और प्रत्येक लाभार्थी को सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के दायरे में लाया जाए। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि जब संतुष्टिकरण की भावना होती है, तब कोई भेदभाव नहीं होता और यही सच्चा सुशासन, सच्चा सामाजिक न्याय और सच्ची धर्मनिरपेक्षता है। उन्होंने कहा कि आज देश के लाखों नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के पहली बार पक्के मकान, शौचालय, नल से जल, बिजली और गैस कनेक्शन मिल रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि लाखों लोगों को पहली बार मुफ्त राशन और मुफ्त चिकित्सा उपचार मिल रहा है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जब कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास किया जाता है, तभी पंडित दीनदयाल जी की परिकल्पना के साथ न्याय हो रहा होता है।
श्री मोदी ने जोर देते हुए कहा, “पिछले एक दशक में करोड़ों भारतीयों ने गरीबी से मुक्ति पाई है।” उन्होंने बताया कि यह इसलिए संभव हुआ क्योंकि उनकी सरकार ने सबसे पिछड़े लोगों, सबसे निचले पायदान पर खड़े लोगों को प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से पहले लगभग 25 करोड़ नागरिक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में थे, जबकि आज लगभग 95 करोड़ भारतीय इस सुरक्षा कवच के भीतर हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश के लाभार्थी भी बड़ी संख्या में हैं। प्रधानमंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह बैंक खाते कभी कुछ ही लोगों तक सीमित थे, उसी तरह बीमा भी केवल धनी लोगों तक ही सीमित था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनकी सरकार ने अंतिम व्यक्ति तक बीमा सुरक्षा पहुंचाने की जिम्मेदारी ली। इसके लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना शुरू की गई, जिसके तहत नाममात्र प्रीमियम पर दो लाख रुपये का बीमा सुनिश्चित किया गया और आज 25 करोड़ से अधिक गरीब नागरिक इस योजना में नामांकित हैं। इसी तरह, उन्होंने बताया कि दुर्घटना बीमा के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना ने लगभग 55 करोड़ गरीब नागरिकों को जोड़ा है, जो पहले बीमा के बारे में सोच भी नहीं सकते थे। श्री मोदी ने कहा कि यह जानकर कई लोगों को आश्चर्य होगा कि इन योजनाओं के माध्यम से लाभार्थियों को पहले ही लगभग 25,000 करोड़ रुपये के दावे उपलब्ध कराए जा चुके हैं, जिसका अर्थ है कि संकट के समय में इस धन ने गरीब परिवारों को सहारा दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल जी की जयंती सुशासन का उत्सव मनाने का भी दिन है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लंबे समय तक गरीबी उन्मूलन जैसे नारों को ही शासन माना जाता रहा, लेकिन अटल जी ने वास्तव में सुशासन को जमीनी स्तर पर साकार किया। श्री मोदी ने इस बात पर बल दिया कि आज जहां डिजिटल पहचान पर बहुत चर्चा हो रही है, वहीं इसकी नींव अटल जी की सरकार ने ही रखी थी। उन्होंने कहा कि उस समय शुरू की गई विशेष कार्ड पहल आज आधार कार्ड के रूप में विश्व प्रसिद्ध है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में दूरसंचार क्रांति को गति देने का श्रेय भी अटल जी को जाता है। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार द्वारा बनाई गई दूरसंचार नीति ने हर घर तक फोन और इंटरनेट पहुंचाना आसान बना दिया और आज भारत दुनिया में सबसे अधिक मोबाइल और इंटरनेट उपयोगकर्ताओं वाले देशों में से एक है।
श्री मोदी ने कहा कि अटल जी को यह जानकर प्रसन्नता होगी कि पिछले 11 वर्षों में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बन गया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि उत्तर प्रदेश, जिस राज्य से अटल जी सांसद थे, आज भारत में मोबाइल उत्पादन में अग्रणी राज्य है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अटल जी की कनेक्टिविटी संबंधी दूरदृष्टि ने 21वीं सदी के भारत को शुरुआती मजबूती प्रदान की। उन्होंने याद दिलाया कि अटल जी के शासनकाल में ही गांवों को सड़कों से जोड़ने का अभियान शुरू हुआ था और स्वर्ण चतुर्भुज राजमार्ग विस्तार का कार्य प्रारंभ हुआ था।
श्री मोदी ने बताया कि वर्ष 2000 से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत लगभग 8 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया गया है, जिनमें से लगभग 4 लाख किलोमीटर सड़कें पिछले 10-11 वर्षों में निर्मित हुई हैं। उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में एक्सप्रेसवे अभूतपूर्व गति से बन रहे हैं और उत्तर प्रदेश एक एक्सप्रेसवे राज्य के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि अटल जी ने ही दिल्ली मेट्रो की शुरुआत की थी और आज देश भर के 20 से अधिक शहरों में मेट्रो नेटवर्क लाखों लोगों के जीवन को सुगम बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकारों द्वारा स्थापित सुशासन की विरासत को अब केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विस्तारित किया जा रहा है और इसे नए आयाम दिए जा रहे हैं।
श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी और अटल बिहारी वाजपेयी जी की प्रेरणा, उनके दूरदर्शी कार्यों और भव्य प्रतिमाओं ने एक विकसित भारत की मजबूत नींव रखी है। उन्होंने कहा कि ये प्रतिमाएं आज देश को नई ऊर्जा से भर रही हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह नहीं भूलना चाहिए कि आजादी के बाद भारत में हर अच्छे काम को एक ही परिवार से जोड़ने की प्रवृत्ति विकसित हुई—चाहे किताबें हों, सरकारी योजनाएं हों, संस्थान हों, सड़कें हों या चौक हों, सब कुछ एक ही परिवार, उनके नाम और उनकी प्रतिमाओं के महिमामंडन से जुड़ा हुआ था। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने देश को एक ही परिवार का बंधक बने रहने की इस पुरानी प्रथा से मुक्त कर दिया है। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि उनकी सरकार भारत माता के हर अमर बच्चे और राष्ट्र सेवा में किए गए हर योगदान का सम्मान कर रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आज दिल्ली के कर्तव्य पथ पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा गर्व से खड़ी है और अंडमान के उस द्वीप का नाम उनके नाम पर रखा गया है जहां नेताजी ने तिरंगा फहराया था।
प्रधानमंत्री ने बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की विरासत को मिटाने के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि कोई भी उन्हें नहीं भूल सकता। श्री मोदी ने कहा कि विपक्षी दलों ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश में यह पाप किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनकी पार्टी ने बाबासाहेब की विरासत को मिटने नहीं दिया। उन्होंने बताया कि आज दिल्ली से लेकर लंदन तक बाबासाहेब अंबेडकर के पंचतीर्थ उनकी विरासत का बखान कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि सरदार पटेल ने सैकड़ों रियासतों में बंटे देश को एकजुट किया था, लेकिन आजादी के बाद उनके कार्यों और प्रतिष्ठा दोनों को कम करने के प्रयास किए गए। उन्होंने रेखांकित किया कि उनकी पार्टी ने ही सरदार पटेल को वह सम्मान दिलाया जिसके वे वास्तव में हकदार थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने ही सरदार पटेल की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा बनवाई और एकता नगर को प्रेरणा के केंद्र के रूप में विकसित किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस का मुख्य समारोह इसी स्थान पर मनाया जाता है।
श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि दशकों से जनजातीय समुदायों के योगदान को उचित मान्यता नहीं दी गई। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार ने ही भगवान बिरसा मुंडा का भव्य स्मारक बनवाया और कुछ सप्ताह पहले ही छत्तीसगढ़ में शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी संग्रहालय का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश भर में ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जैसे उत्तर प्रदेश में महाराजा सुहेलदेव का स्मारक उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद ही बना। उन्होंने कहा कि निषादराज और भगवान श्री राम के मिलन स्थल को अब उचित सम्मान प्राप्त हुआ है। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह से लेकर चौरी चौरा के शहीदों तक, भारत माता के पुत्रों के योगदान को उनकी सरकार ने पूर्ण श्रद्धा और विनम्रता के साथ याद किया है।
परिवार आधारित राजनीति की एक विशिष्ट पहचान और असुरक्षा की भावना को रेखांकित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह असुरक्षा ऐसे नेताओं को अपने परिवार को बड़ा दिखाने और अपना प्रभाव बरकरार रखने के लिए दूसरों को नीचा दिखाने के लिए विवश करती है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इसी मानसिकता ने भारत में राजनीतिक छुआछूत को जन्म दिया। उन्होंने बताया कि यद्यपि कई प्रधानमंत्रियों ने स्वतंत्र भारत की सेवा की, लेकिन दिल्ली के संग्रहालय ने उनमें से कई को नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यह उनकी सरकार ही थी जिसने इस स्थिति को सुधारा और आज जब कोई दिल्ली आता है, तो भव्य प्रधानमंत्री संग्रहालय उनका स्वागत करता है, जहां स्वतंत्र भारत के प्रत्येक प्रधानमंत्री को, चाहे उनका कार्यकाल कितना भी छोटा रहा हो, उचित सम्मान और स्थान दिया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष और उसके सहयोगी हमेशा अपनी पार्टी को राजनीतिक रूप से अछूत बनाए रखते हैं, लेकिन उनकी पार्टी के मूल्य सभी के प्रति सम्मान सिखाते हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले 11 वर्षों में, उनकी सरकार के दौरान, श्री नरसिम्हा राव जी और श्री प्रणब मुखर्जी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह उनकी सरकार ही थी जिसने श्री मुलायम सिंह यादव जी और श्री तरुण गोगोई जी जैसे नेताओं को राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया, जो कि विपक्ष और उनके सहयोगियों से कभी भी अपेक्षित नहीं किया जा सकता था, जिनके शासनकाल में अन्य दलों के नेताओं को केवल अपमान का सामना करना पड़ा।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर देते हुए कि केंद्र और राज्य सरकारों ने उत्तर प्रदेश को बहुत लाभ पहुंचाया है, जो 21वीं सदी के भारत में अपनी एक अलग पहचान बना रहा है। श्री मोदी ने गर्व व्यक्त किया कि राज्य के मेहनती लोग एक नया भविष्य लिख रहे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि एक समय उत्तर प्रदेश की चर्चा खराब कानून व्यवस्था के संदर्भ में होती थी, लेकिन आज इसकी चर्चा विकास के संदर्भ में हो रही है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर और काशी विश्वनाथ धाम राज्य की नई पहचान के प्रतीक बन चुके हैं और उत्तर प्रदेश तेजी से देश के पर्यटन मानचित्र पर उभर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र प्रेरणा स्थल जैसी आधुनिक इमारतें उत्तर प्रदेश की इस नई छवि को और भी निखार रही हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन इस कामना के साथ किया कि उत्तर प्रदेश सुशासन, समृद्धि और सच्चे सामाजिक न्याय के आदर्श के रूप में और अधिक ऊंचाइयों को प्राप्त करता रहे। श्री मोदी ने राष्ट्र प्रेरणा स्थल के लिए लोगों को एक बार फिर बधाई दी।
इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री श्री राजनाथ सिंह और श्री पंकज चौधरी सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
स्वतंत्र भारत की महान विभूतियों की विरासत को सम्मानित करने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, राष्ट्र प्रेरणा स्थल भारत के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक के जीवन, आदर्शों और अमिट विरासत को श्रद्धांजलि अर्पित करेगा, जिनके नेतृत्व ने देश के लोकतांत्रिक, राजनीतिक और विकासात्मक सफर पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।
राष्ट्र प्रेरणा स्थल को एक ऐतिहासिक राष्ट्रीय स्मारक और स्थायी राष्ट्रीय महत्व के प्रेरणा परिसर के रूप में विकसित किया गया है। लगभग 230 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित और 65 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैला यह परिसर, नेतृत्व मूल्यों, राष्ट्रीय सेवा, सांस्कृतिक चेतना और जन प्रेरणा को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक स्थायी राष्ट्रीय धरोहर के रूप में परिकल्पित है।
इस परिसर में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की 65 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमाएं स्थापित हैं, जो भारत के राजनीतिक चिंतन, राष्ट्र निर्माण और सार्वजनिक जीवन में उनके अमिट योगदान का प्रतीक हैं। इसमें लगभग 98,000 वर्ग फीट में फैला एक अत्याधुनिक संग्रहालय भी है, जिसे कमल के आकार में बनाया गया है। यह संग्रहालय उन्नत डिजिटल और आकर्षक तकनीकों के माध्यम से भारत की राष्ट्रीय यात्रा और इन दूरदर्शी नेताओं के योगदान को प्रदर्शित करता है, जिससे आगंतुकों को एक आकर्षक और शिक्षाप्रद अनुभव प्राप्त होता है।
राष्ट्र प्रेरणा स्थल का उद्घाटन निस्वार्थ नेतृत्व और सुशासन के आदर्शों को संरक्षित और बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनने की संभावना है।
पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश के लखनऊ में ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ का उद्घाटन करना मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है।
https://t.co/P48AtZ8RWB— Narendra Modi (@narendramodi) December 25, 2025
Rashtra Prerna Sthal symbolises a vision that has guided India towards self-respect, unity and service. pic.twitter.com/gglaLfS6Ce
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Sabka Prayas will realise the resolve of a Viksit Bharat. pic.twitter.com/iJlDMRVf6B
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हमने अंत्योदय को saturation यानि संतुष्टिकरण का नया विस्तार दिया है। pic.twitter.com/hnp0WMpzY5
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पीके/केसी/एमकेएस/डीके
पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 'राष्ट्र प्रेरणा स्थल' का उद्घाटन करना मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है।
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